Loading...

आज ही अग्रवाल समाज में शामिल हों |

+91 00000000
Image

about

अग्रवाल की उत्पत्ति

भगवान ने अपने मुख से ब्राह्मण और भुजा से क्षत्रीय और जांघ से वैश्य और चरण से शूद्रों को बनाया. उसमें वैश्यों को चार कर्म का अधिकार दिया गया प्रथम खेती द्वितीय गाय की सुरक्षा तृतीय व्यापार एवं चतुर्थ ब्याज. प्रथम मनुष्य जो कि वैश्यों में हुआ उसका नाम धनपाल था और धनपाल को ब्राह्मणों ने प्रताप नगर में राज पर बिठाकर धन का अधिकारी बनाया. महाराज धनपाल के घर में पुत्र पुत्रियों का जन्म हुआ. कालांतर में इसी वंश में बल्लभ नामक एक राजा हुए और उनके घर में बड़े प्रतापी अग्र राजा उत्पन्न हुए उन्हें ही अग्रसेन के नाम से जाना गया. कहा जाता है कि महाराजा अग्रसेन ने देवराज इन्द्र से भी युद्ध किया था महाराजा अग्रसेन ने नाग लोग के राजा नागराज की कन्या माधवी से विवाह किया था इस कारण से अग्रवाल बंधु नाग कन्याओं की जननी माने जाते हैं. एक बार राजा अग्रसेन ने बहोत बड़ा महालक्ष्मी यgya किया जिससे प्रसन्न होकर महालक्ष्मी ने वर दिया की आज से ही यह तेरा वंश तेरे नाम से अर्थात अग्रसेन महाराज कॉ वंश होगा एवं कुल देवी के रूप में महालक्ष्मी की पूजा होगी तभी से अग्रवाल अग्रसेन जी के वंशज माने जाते हैं एवं उनकी कुल देवी के रूप में माता महालक्ष्मी की उपासना की जाती है.

Read More

PROJECTS COMPLETED

158

+

MEMBERS

49

+

FACILITY

17

+

AWARD WINNERS

567

+

Image
About Agrawals

भगवान ने अपने मुख से ब्राह्मण और भुजा से क्षत्रीय और जांघ से वैश्य और चरण से शूद्रों को बनाया. उसमें वैश्यों को चार कर्म का अधिकार दिया गया

Read More

Image
Founders

जैसा कि उपरोक्त में विदित है महाराजा अग्रसेन के वंशज अग्रवाल कह लाए एवं मूल कार्य व्यापार को लेकर देश के विभिन्न स्थानों पर बसे.

Read More

Image
Brief Activities

जो काशी अग्रवाल समाज द्वारा संचालित जो अग्रसेन महाजनी इन्टर कालेज एवं बाल पाठशाला की नींव 14 जून 1896 में ही रख दी गई थी।

Read More

Gallery